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मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या लाल सागर में 47 साल पुराना टैंकर फटने वाला है | 47 Year Old Tanker About to Explode in the Red Sea?

47 साल पुराना टैंक का परिचय | Introduction to 47 Year Old Tanks 2015 में यमन ने एक मिलियन बैरल तेल से भरे एक सुपर टैंकर वेसल को रेड सी यानी लाल सागर में छोड़ दिया था। अब 8 साल बाद संयुक्त राष्ट्र संघ यानी UN ने कहा है कि ये वेसल किसी भी समय या फट जाएगा या डूब जाएगा। टैंक फटने पर क्या नुकसान होगा? (What Will Happen if the Tank Explodes?) तेल समुद्र में फैला तो प्रदूषण 30 साल तक रहेगा। इससे यमन समेत 4 देशों को काफी नुकसान होने की आशंका है। UN ने अब आखिरी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर तुरंत कोई एक्शन नहीं लिया गया तो इससे हुए नुकसान की भरपाई नामुमकिन होगी। तेल लीक होने के 2 हफ्तों बाद सऊदी, जिबूती और इरिट्रिया तक भी पहुंच जाएगा। समुद्र में फैले तेल की वजह से मछलियों की 1000 दुर्लभ प्रजातियां और 365 तरह के कोरल रीफ खत्म हो जाएंगे। समुद्र के रास्ते जंग से प्रभावित यमन के इलाकों में UN जो मदद भेज रहा है, वो भी रुक जाएगी, जिससे 60 लाख लोगों की जिंदगी पर असर पड़ेगा। स्टोरेज वेसल साफेर के विषय में जानकारी (About Storage Vessel Safer) साफेर को 1976 में एक जापानी कंपनी हिटाची जेसोन ने बनाया ...

अंजी ब्रिज केबल आधारित पुल | Anji Bridge Cable Stayed Bridge

  भारत का पहला केबल आधारित पुल  (India's first cable-stayed bridge) अंजी ब्रिज , देश का पहला केबल-स्टे रेलवे ब्रिज और उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक ( USBRL) परियोजना का हिस्सा है। अंजी नदी जम्मू के कटरा और रियासी जिले के बीच चिनाब नदी की एक सहायक नदी है। जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से बारहमासी रेल कनेक्टिविटी के साथ जोड़ने के भारतीय रेलवे के लक्ष्य में अंजी पुल एक महत्वपूर्ण कड़ी है।   अंजी पुल पर बड़ी संख्या में सेंसर लगाए गए हैं ताकि संरचनात्मक स्वास्थ्य की नियमित रूप से निगरानी की जा सके। इसे भारी तूफान और 213 किलोमीटर प्रति घंटे तक की हवा की गति को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है।   परियोजना का महत्व  (Importance of the project) इस परियोजना से क्षेत्र के भीतर और देश के बाकी हिस्सों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी के माध्यम से जम्मू और कश्मीर राज्य का सामाजिक-आर्थिक विकास होने की उम्मीद है। इस परियोजना की परिकल्पना एक कुशल सभी मौसम परिवहन चैनल प्रदान करने के लिए की गई थी जो प्रतिकूल मौसम की स्थिति में कार्य कर सके और घाटी के भीतर और बाहर विभिन्न...

डोकलाम विवाद का विश्लेषण | Analysis of Doklam Dispute

भारत और भूटान के मध्य सहयोग संधि (Cooperation Treaty Between India and Bhutan) भारत और चीन की ज़मीनी सरहदों में घिरे भूटान ने 1949 के मित्रता और सहयोग संधि के बाद से भारत के साथ विशेष संबंध क़ायम रखे हैं। उधर चीन के साथ भूटान ने बग़ैर किसी राजनयिक संपर्क के भी तटस्थ रिश्ता बनाए रखा है। चीन की ओर से भूटान के कई इलाक़ों पर दावे किए जाते हैं। इनमें उत्तर की पासामलुंग और जाकारलुंग घाटी शामिल हैं, जो भूटान के लिए बेहद अहम हैं। पश्चिम दिशा में डोकलाम, ड्रामना और शाखटोई, याक चु और चारिथांग चु, सिंचुलुंगपा और लांगमार्पो घाटियों पर भी चीन अपना दावा ठोकता रहा है। ये इलाक़े चाराग़ाह के लिहाज़ से समृद्ध होने के साथ-साथ सामरिक रूप से भूटान और भारत-चीन के त्रिकोण (trijunction) पर स्थित हैं। ये क्षेत्र भारत के सिलिगुड़ी गलियारे के बेहद नज़दीक है। डोकलाम विवाद 2017 (Doklam Standoff 2017) 2017 में भूटान ने डोकलाम में चीन की ओर से बनाई जा रही सड़क का विरोध किया था। इसके समर्थन में भारत भी सामने आ गया था। भूटान और चीन के बीच विवाद की वजह से भारत के साथ भी तनातनी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। डोकलाम ट्राई जंक...

सीरिया और सऊदी अरब का रिश्ता व इतिहास | The Relationship and History of Syria and Saudi Arabia

परिचय (Introduction) मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जल्द ही सऊदी और सीरिया के बीच भी कूटनीतिक संबंध बहाल हो सकते हैं। 11 साल पहले यह रिश्ते टूट गए थे। इससे जुड़ी एक और बड़ी खबर यह है कि अगर सीरिया और सऊदी के डिप्लोमैटिक रिलेशन री- इन्सटॉल हुए तो सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद और उनके मुल्क की 22 अरब देशों के ग्रुप यानी अरब लीग में वापसी भी सकती है। ईरान और सीरिया सऊदी अरब से रिश्ते (Iran and Syria Relations with Saudi Arabia) न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' की रिपोर्ट के मुताबिक - ईरान और सऊदी अरब के बीच रिश्ते सुधरने के बाद सीरिया ने भी ऐसा करने का फैसला किया है। ऐंबैसी अप्रैल में ईद के बाद खुल सकती हैं। गल्फ डिप्लोमैट ने बताया कि ये फैसला सऊदी अरब और एक सीरियन इंटेलिजेंस ऑफिसर के बीच कई दौर की बातचीत के बाद लिया गया।  इस मामले में खास बात यह है कि जब ईरान और सऊदी अरब के डिप्लोमैटिक रिलेशन बहाल हुए तो चीन ने इसमें अहम रोल प्ले किया था। अमेरिका को इस बातचीत की भनक तक नहीं लगी। अब अगर सीरिया और सऊदी के रिलेशन बहाल होते हैं, तो गल्फ में अमेरिकी दबदबे को ये एक और बड़ा झटका होगा। बशर अल असद ...

शुक्र ग्रह पर सक्रिया ज्वालामुखी | Active Volcano On Venus

     शुक्र ग्रह पर सक्रिया ज्वालामुखी मिला (Active Volcano Found on Venus) लगभग तीन दशक पहले ली गई शुक्र की कुछ तस्वीरें ली गई थीं। जिसका हाल ही (अभिलेखीय रडार छवियाँ) पुनः विश्लेषण किया गया है। जिसमें शुक्र की सतह पर ज्वालामुखीय गतिविधि के प्रत्यक्ष भूवैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं। शोधकर्ताओं ने देखा है कि ज्वालामुखीय वेंट लगभग आठ महीनों में अपना आकार बदल रहा है और आकार में बड़ा हो रहा है। यह सूर्य का दूसरा निकटतम ग्रह है और सौरमंडल का छठा सबसे बड़ा ग्रह है। इसे पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह भी कहा जाता है। यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है और इसका अधिकतम तापमान (450 degree C) और अम्लीय मेघ इसे जीवन के लिये एक असंभावित जगह बनाते हैं। शुक्र ग्रह अन्य ग्रहों के सापेक्ष विपरीत घूमता है अर्थात पूरब से पश्चिम की ओर घुमता है परिणाम स्वरूप इसका सूर्य पश्चिम में उदय होता है तथा पूर्व में अस्त होता है। बुध ग्रह के साथ-साथ इसका भी न तो कोई चंद्रमा है और न ही कोई वलय है। मार्च 2023 में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन, 'मैगलन मिशन के दौरान एक वीनसियन ज्वालामुखी पर देखी गई सतह में परिवर्तन' मे...

अजरबैजान और आर्मेनिया विवाद | Azerbaijan and Armenia Dispute

  अजरबैजान और आर्मेनिया विवाद | Azerbaijan and Armenia Dispute अजरबैजान और आर्मेनिया , दोनों ही सोवियत संघ का हिस्सा थे। 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद जो 15 नए देश बने , उनमें अजरबैजान और आर्मेनिया भी थे। हालांकि , दोनों के बीच 1980 के दशक से ही विवाद शुरू हो गया था।   दोनों के बीच नागोनों काराबाख इलाके को लेकर विवाद है। इलाके पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच चार दशकों से विवाद चल रहा है। सोवियत संघ टूटने के बाद नागोर्नो काराबाख अजरबैजान के पास चला गया।   अजरबैजान मुस्लिम देश है , जबकि आर्मेनिया ईसाई बहुल राष्ट्र है। नागोन- काराबाख की बहुल आबादी भी ईसाई ही है। इसके बावजूद सोवियत संघ जब टूटा तो इसे अजरबैजान को दे दिया गया। यहां रहने वाले लोगों ने भी इलाके को आर्मेनिया को सौंपने के लिए वोट किया था।   1994 में भयंकर युद्ध हुआ था (There was a fierce battle in 1994)   सोवियत संघ टूटने के बाद 1994 में दोनों देशों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। इस कारण  लाखों लोगों को पलायन करना पड़ा था और सैकड़ों-हजारों लोगों की मौत भी हुई थी। बाद में  दोनों दे...