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डोकलाम विवाद का विश्लेषण | Analysis of Doklam Dispute



भारत और भूटान के मध्य सहयोग संधि (Cooperation Treaty Between India and Bhutan)

भारत और चीन की ज़मीनी सरहदों में घिरे भूटान ने 1949 के मित्रता और सहयोग संधि के बाद से भारत के साथ विशेष संबंध क़ायम रखे हैं। उधर चीन के साथ भूटान ने बग़ैर किसी राजनयिक संपर्क के भी तटस्थ रिश्ता बनाए रखा है। चीन की ओर से भूटान के कई इलाक़ों पर दावे किए जाते हैं। इनमें उत्तर की पासामलुंग और जाकारलुंग घाटी शामिल हैं, जो भूटान के लिए बेहद अहम हैं।

पश्चिम दिशा में डोकलाम, ड्रामना और शाखटोई, याक चु और चारिथांग चु, सिंचुलुंगपा और लांगमार्पो घाटियों पर भी चीन अपना दावा ठोकता रहा है। ये इलाक़े चाराग़ाह के लिहाज़ से समृद्ध होने के साथ-साथ सामरिक रूप से भूटान और भारत-चीन के त्रिकोण (trijunction) पर स्थित हैं। ये क्षेत्र भारत के सिलिगुड़ी गलियारे के बेहद नज़दीक है।

डोकलाम विवाद 2017 (Doklam Standoff 2017)

2017 में भूटान ने डोकलाम में चीन की ओर से बनाई जा रही सड़क का विरोध किया था। इसके समर्थन में भारत भी सामने आ गया था। भूटान और चीन के बीच विवाद की वजह से भारत के साथ भी तनातनी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। डोकलाम ट्राई जंक्शन पर भारत और चीन की सेनाएं 73 दिन आमने-सामने रही थीं। 

भूटान ने चीन पर उस क्षेत्र में एक सड़क का विस्तार करने का आरोप लगाया था जो उसका एरिया है। डोकलाम को लेकर एक समय तनाव इतना बढ़ गया कि दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई थी। भारत-चीन के बीच कई दौर की वार्ता के बाद यह गतिरोध कम हो सका था।

भारत का डोकलाम विवाद से संबंध? (India's Relation to the Doklam Dispute?)

दरअसल डोकलाम क्षेत्र को लेकर चीन-भूटान के बीच में विवाद है। भारत और भूटान के बीच वर्ष 1949 में एक संधि हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन करेगा। भारत और भूटान के बीच वर्ष 2007 में एक और सैन्य सहयोग पर एक करार हुआ था।

इस करार के अनुच्छेद 2 में कहा गया है: “भूटान और भारत के बीच घनिष्ठ दोस्ती और सहयोग के संबंधों को ध्यान में रखते हुए, भूटान और भारत सरकार अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे का सहयोग करेगी।”

डोकलाम विवाद भारत के लिये चिंता का कारण (Doklam dispute cause of concern for India)



भारत की सिक्युरिटी के लिए यह चिंता का विषय है। रोड निर्माण से चीन को भारत पर एक बड़ी सैन्य लाभ हासिल होगी।

उसकी बड़ी वजह ये है कि अगर डोकलाम तक चीन की सुगम आवाजाही हो गई तो वह भारत को पूर्वोत्तहर राज्यों से जोड़ने वाली 20 किलोमीटर चौड़े इलाके पर चीन की बढ़त हो जाएगी। भारतीय सेना की भाषा में इस इलाके को चिकन नेक कहा जाता है।

युद्ध की स्थिति में डोकलाम में कब्जा होने का लाभ चीन को मिलेगा जिसकी जद में सिलिगुडी से लेकर उसके आसपास का इलाका आ जाएगा। अगर चीन डोकलाम में अपनी तोपें तैनात करता है तो उसकी जद में भारत का चिकन नेक वाला इलाका आएगा, जिससे पूर्वोत्तर से शेष भारत के कटने का खतरा बना रहेगा।

चीन की सलामी स्लाईसिंग योजना क्या है? (What is China's Salami Slicing Scheme?)

पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे, गुप्त सैन्य संचालन जो कि लम्बे समय तक चलते रहने के कारण बड़े सैन्य लाभ में मददगार होते हैं। यह मिलिटरी ऑपरेशन इतने छोटे होते हैं कि इन्हें युद्ध का नाम नही दिया जाता है लेकिन इन आपरेशनों का परिणाम युद्ध जैसे ही होते हैं। ये ऑपरेशन छोटे होने के कारण ज्यादा सुर्खियाँ नही बटोरते हैं।

इसके साथ ही यह पड़ोसी देश को इतना मौका नही देते हैं कि वह उनका विरोध करे। विरोध ना करने का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि पडोसी देश इन छोटे मोटे निर्माण कार्यों या गतिविधियों की ओर ध्यान ही नहीं देता है क्योंकि हाल फ़िलहाल इनसे कोई खतरा नज़र नहीं आता है। लेकिन एक लम्बे समय के बाद इस तरह की "सलामी स्लाईसिंग योजना" इस योजना को चलाने वाले देश के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।

By Sunaina


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