शुक्र ग्रह पर सक्रिया ज्वालामुखी मिला (Active Volcano Found on Venus)
लगभग तीन दशक पहले ली गई शुक्र की कुछ तस्वीरें ली गई थीं। जिसका हाल ही (अभिलेखीय रडार छवियाँ) पुनः विश्लेषण किया गया है। जिसमें शुक्र की सतह पर ज्वालामुखीय गतिविधि के प्रत्यक्ष भूवैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं।
शोधकर्ताओं ने देखा है कि ज्वालामुखीय वेंट लगभग आठ महीनों में अपना आकार बदल रहा है और आकार में बड़ा हो रहा है।
यह सूर्य का दूसरा निकटतम ग्रह है और सौरमंडल का छठा सबसे बड़ा ग्रह है। इसे पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह भी कहा जाता है।
यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है और इसका अधिकतम तापमान (450 degree C) और अम्लीय मेघ इसे जीवन के लिये एक असंभावित जगह बनाते हैं। शुक्र ग्रह अन्य ग्रहों के सापेक्ष विपरीत घूमता है अर्थात पूरब से पश्चिम की ओर घुमता है परिणाम स्वरूप इसका सूर्य पश्चिम में उदय होता है तथा पूर्व में अस्त होता है।
बुध ग्रह के साथ-साथ इसका भी न तो कोई चंद्रमा है और न ही कोई वलय है।
मार्च 2023 में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन, 'मैगलन मिशन के दौरान एक वीनसियन ज्वालामुखी पर देखी गई सतह में परिवर्तन' में नए निष्कर्षों का वर्णन किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स (यूएसए) के जियोफिजिकल इंस्टीट्यूट के रॉबर्ट हेरिक और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूएसए) के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के स्कॉट हेन्सले ने यह शोध किया है।
इसमें लावा के निकलने के संकेत मिले हैं, रडार से प्राप्त छवियों (फोटो) के अनुसार, इस छिद्र का आकार दोगुना हो गया था और लावा ऊपर तक पहुँच गया था। यह छिद्र माट मॉन्स से संबंधित है।
माट मॉन्स इस ग्रह का दूसरा सबसे ऊँचा ज्वालामुखी है। यह एटला रेजियो में स्थित है, जो शुक्र के भूमध्य रेखा के पास एक विशाल उच्च भूमि क्षेत्र है, ये बदलाव उस छिद्र से लावा निकलने के कारण हुए थे जो कि संभावित ज्वालामुखीय गतिविधि की ओर इशारा करते हैं।
Image Source : https://indianexpress.com/article/explained/explained-sci-tech/active-volcano-venus-new-study-8508200/
क्या ऑब्जरवेशन किए गए हैं? (What Observations Have Been Made?)
रडार से प्राप्त दशकों पुरानी छवियों के अध्ययन से शुक्र ग्रह पर सक्रिय ज्वालामुखी होने के नए प्रमाण मिले हैं।
शुक्र ग्रह पर 2.2 वर्ग किलोमीटर के ज्वालामुखीय छिद्र के आकार में विगत आठ महीनों में कई बार परिवर्तन हुए हैं, जो ज्वालामुखीय गतिविधि का संकेत है।
ज्वालामुखीय छिद्र एक ऐसा स्थान है जिसके माध्यम से तरल चट्टानी पदार्थ/लावा निकलता है।
मैगलन मिशन क्या है? (What is Magellan Mission?)
शुक्र ग्रह हेतु नासा का मैगलन मिशन सबसे सफल प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों में से एक था।
यह शुक्र ग्रह, जिसे 4 मई, 1989 को लॉन्च किया गया था, शुक्र की पूरी सतह की छवि लेने वाला पहला अंतरिक्ष यान था, साथ ही इसने ग्रह के बारे में कई अन्य खोजें भी कीं हैं।
13 अक्टूबर, 1994 को मैगलन के साथ संचार उस समय टूट गया जब उसे शुक्र के वातावरण में उतारने का निर्देश दिया गया। परिणाम स्वरूप यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि मैगलन शुक्र के तापमान को सहन नहीं कर सका। संभवतः मैगलन नष्ट हो गया।
शुक्र के आगामी अभियान (Upcoming Missions to Venus)
इसरो (ISRO) भी शुक्र का अध्ययन करने हेतु शुक्रयान-1 पर काम कर रहा है। मिशन को दिसंबर 2024 में लॉन्च करने की योजना है। 2031 में एक वैकल्पिक लॉन्च के साथ। ऑर्बिटर संभवतः ग्रह की भूगर्भीय और ज्वालामुखीय गतिविधि, ज़मीन पर उत्सर्जन, वायु की गति, बादलों के आवरण एवं वृत्ताकार कक्षा से अन्य ग्रहों की विशेषताओं का अध्ययन करेगा।
नया विश्लेषण यूरोपीय एनविज़न जैसे आगामी मिशनों हेतु लक्षित क्षेत्रों को निर्धारित करने में सहायता करेगा, जिसे वर्ष 2032 में लॉन्च किया जाना है।
शुक्र ग्रह हेतु दो मिशनों की योजना बनाई जा रही है, नासा के VERITAS और DAVINCI द्वारा वर्ष 2030 के दशक में शुक्र का निरीक्षण किये जाने की उम्मीद है।
शुक्र ग्रह पर भेजे गए मिशन (Missions Sent to Venus)
यूएस - 1962-1974 मेरिनर श्रृंखला (पायनियर वीनस 1)
1978 में, (पायनियर वीनस 2)
1989 में मैगलन।
रूस - 1967- 1983 स्पेस क्राफ्ट्स की वेनेरा श्रृंखला
1985 में (वेगास 1 और 2)
जापान - 2015 में अकात्सुकी
यूरोप - 2005 में वीनस एक्सप्रेस।
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